शनिवार, 19 दिसंबर 2009

बहुत दिन हो गए मैं ब्लॉग पर नहीं आ पाया। दरअसल ये अनुपस्थिति एक नए पहल का पूर्वाभ्यास है। अपने आसपास तेजी से घटित हो रही घटनाओं को समझने में लगा हूँ। समझ रहा हूँ की अरहर की दाल ९५ रुपए हो गयी तो फिर शेयर क्यों बढ़ रहा है और मुद्रास्फीति क्यों कम हो रही है। एक महानुभाव की रिपोर्ट आयी है कि देश में हर १० में से चौथा आदमी गरीब है और ये भी कि सत्रह साल बाद किसी को दोषी तो ठहरा दिया जाता है लेकिन उसे कोई सज़ा नहीं मिलेगी।
ये सब इन्ही पांच छह महीनो में हुआ है । इसी देश में।

मंगलवार, 7 जुलाई 2009

बिहार में आजकल एक नयी बयार चली है, राज्य और राज्य के बासिंदों को गरीब बताने, बनांने की; सरकार पिछले तीन साल से बीपीएल के दायरे में आने वाले लोगों की लिस्ट बनांने में लगी है; एक लिस्ट १ करोड़ १२ लाख परिवारों की प्रकाशित हो चुकी है लेकिन इसमे शहरों में रहने वाले लोगों की गिनती शामिल नहीं है : इस लिस्ट पर करीब एक करोड़ आपत्तियां आ चुकी हैं जिन्हें स्क्रूटिनी का काम चल रहा है; उम्मीद है बीस से पच्चीस लाख परिवार और बीपीएल के नीचेआ जायेंगे; फिर शहरों में भी १५-२० लाख गरीब तो सरकार निकाल ही लेगी;

हिसाब जोड़ा आपने; जी हाँ ये गिनती डेढ़ करोड़ परिवारों पर जाकर ख़त्म होगी; मतलब बिहार में सात करोड़ पचास लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले होंगे; यानी १० करोड़ आबादी के पचहत्तर फीसदी लोग;

ये संख्या एक फेल्ड हो रहे स्टेट की कहानी कहती है, सुशासन के दौर के विकासोन्मुखी राज्य और राजा की तो कतई नही,

अभी और भी कई तथ्य आपके लिए हैं; बस visit करें

सोमवार, 6 जुलाई 2009

बजट के बहाने
सबसे पहले देश के नए बजट, मानसून और आम आदमी की बात। कौटिल्य से महात्मा गाँधी तक, आख़िर हमारे वित्तमंत्री किसके रास्ते देश के लोगों का जीवन ले जाना चाहते हैं। दो दिन पहले रेल मंत्री का बजट आता है - १५०० से कम कमाने वाले २५ रुपये में १००० किलोमीटर की यात्रा कर सकते हैं, फिर आज वित्तमंत्री घोषणा करते हैं एलसीडी के दाम २००० रुपये कम हो गए। देश की सरकार के दो मंत्री - दो धाराएं - एक का नारा रोजाना ५० रुपये से कम कमाओ और आधे पेट १००० किलोमीटर महीने भर में घूम लो, दूसरा लॉलीपॉप दिखाता है टैक्स में तीन महीने की तनख्वाह गवाओं और घर आकर एलसीडी पर देश दुनिया की मंदी देखो, राहुल गाँधी, ममता बनर्जी और प्रणव मुखर्जी का तिलिस्म देखिये और द ग्रेट इंडियन तमाशा का मजा लीजिये; पीछे से म्यूजिक ' सब कुछ लुटा कर होश में आए तो क्या----------------
मानसून भी कुछ कुछ बजट जैसा ही आया है इस बार, कौन हंसेगा कौन रोयेगा राम जाने,,,,,,,,,,,,

शुक्रवार, 16 जनवरी 2009

सबलोग का पहला अंक आपके सामने है। पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया दे। कवर पेज इस मासिक पत्रिका के मिजाज़ से आपको रूबरू करा रहा है।
सुशील